सूरह अल-फ़ातिहा (सूरह 1)

बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम  

(शुरुआत अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम करने वाला है)


1. सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं, जो तमाम जहानों का परवरदिगार है। 


2. जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम करने वाला है।  


3. जो रोज़-ए-जज़ा (इनाम और सज़ा के दिन) का मालिक है।


4. हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और सिर्फ तुझसे ही मदद मांगते हैं।


5. हमें सीधा रास्ता दिखा।


6. उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम फ़रमाया।  


7. जिन पर न तेरी नाराज़गी हुई और न वो भटके हुए हैं।


सूरह अल-फ़ातिहा (सूरह 1) की 7 आयतें का तर्जुमा पूरा हुआ।


सूरह अल-बक़रह (सूरह2)